लेखक के कलम से

” वह सुखी था क्योंकि वह संतुष्ट था ,वह संतुष्ट था इसीलिए वह सुखी था “

एक कहानी — एक प्रेरक प्रसंग
संतोष पांडेय ,स्वदेशी चेतना मंच

जब समचारो की पुनरावृत्ति होने लगती है तो मानो जीवन ठहर सा जाता है । ऐसा प्रतीत होने लगता है कि हम भूलभुलैया में ऐसे फस गये कि जिस राह को पकड़ने चलो वही अंधी गली बन जाती है । कोरोना काल मे हमारे जीवन मे कुछ ऐसा ही नीरस सा हो रहा है ,जहां देखो बस एक ही खबर जवां हो रही है ” कोरोना के आकड़े आने वाले समय मे और बीभत्स होने वाले है । ” ।
मीडिया को जम्हूरियत का चतुर्थ स्तम्भ कहा गया है, पर आधुनिक मीडिया अपनी जिम्मेदारी कैसे निर्वहन कर रही है ,ये सर्वत्र विदित है। आज दुनिया का एकमात्र फंडा है ……लाभ ,लाभ,और सिर्फ लाभ । समाजिक हित ,नैतिक मूल्य ,हमारे पूर्वजों की गाथाये , सब सिर्फ किताबो की शोभा देती है । इस नीरस से काल मे मैं आपको आज एक कहानी सुनाता हूं ।साभार–book (you can win ) by shiv khera
कहानी एक किसान की है जो मध्य पूर्व ईरान में बड़ी सूंदर और संतुष्ट जीवन जी रहा था ।” वह सुखी था क्योंकि वह संतुष्ट था ,वह संतुष्ट था इसीलिए वह सुखी था “। उसको लोग हाफिज के नाम से जानते थे ।भरा पूरा परिवार बच्चे ,सूंदर पत्नी उसके कार्य मे सदैव हाथ बटाते थे । लेकिन किसी ने बड़ा उचित ही कहा है ,लालच बुरी बला है । हाफिज के गांव में एक चालाक आदमी रहता था ,एक दिन जब हाफिज खेत मे काम कर रहा था वो वहां से गुजर रहा था ,हाफिज से मिलकर उससे एक अनमोल पत्थर की बात उससे बताई । उसने कहा -हाफिज अफ्रीका में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जो इतना कीमती है कि यदि कुछ पत्थर तुमको मिल गए तो तुमको जीवन भर खेतों में कार्य करने की जरूरत नही पड़ेगी ,इतना कहकर वो आदमी वहाँ से चला जाता है । हाफिज घर आता है ।लेकिन अब उसका चैन खो चुका था । वह असंतुष्ट हो गया था ।उस रात को ठीक तरह से सो नही सका । ,लालच ने उसकीे बुद्धि हरण कर ली थी । हाफिज सुबह उठा और अपने सारे खेतों को एक किसान को बेच दिया। अपने परिवार की भरण पोषण की व्यवस्था करके वह उस हीरे की खोज में निकल पड़ा । पूरा मध्य पूर्व ,अफ्रीका ,यूरोप की खाक छानने पर भी उसे वह कीमती पत्थर नही मिला । अंत मे असफलता का दंश ऐसा की किसी नदी में डूबकर मर गया । इधर जिस किसान ने हाफिज के खेतों को खरीदा था ,वह एक दिन अपने खेतों से बहती एक नाली में अपने ऊंट को पानी पिला रहा था ।उसने नाली में एक चमकती चीज देखी और उसे उठाकर अपने घर ले आया और उसे अपने बैठक पर रख दिया ।एक दिन उधर से उसके घर वो आदमी आया (जिसने हाफिज को पत्थर के बारे में कहा था ) उसने किसान की बैठक में चमकता पत्थर देख किसान से पूछा कि– क्या हाफिज लौट आया है ? उस किसान ने सारी बीती बातेँ उससे बतायी। उस चालाक आदमी ने किसान से कहा कि क्या तुम्हें पता है कि जिसको तुम साधारण पत्थर समझकर अपने बैठके में सजाएं हो वो क्या है ? किसान ने उत्तर दिया ऐसे ढेरो चमकीले पत्थर मेरे खेतो में पड़े है । चालक आदमी अवाक था ,किसान के खेत मे हीरे की खान थी, पानी के स्रोत से होकर हीरे बाहर आ रहे थे । किसान अब अमीर चुका था। लेकिन हाफिज का क्या ?जीवन भर वह जिस कुछ हीरे की खोज में महाद्वीपो की खाक छानता रहा उसको क्या पता वो हीरे के खजाने उसी के खेतों में छीपे थे पर वो उसे देख नही पा रहा था ।
दोस्तो हमारा जीवन भी इस सदी में कुछ ऐसा ही है ।हम अपना स्वास्थ खोकर पैसा कमाते है और बाद में उसी पैसे से अपना पुराना शरीर पाना चाहते है ,इस तरह हम न तो वर्तमान का आनंद ले पाते है और न ही भविष्य को सँवार पाते है और एक दिन जानवरो कि तरह गुमनामी में देह त्याग जाते है ।
मित्रो जीवन बहुत सुंदर है ,और उम्मीदों भरा जीवन और भी सूंदर होता है । समय बड़ा बलवान है ,यदि दर्द देता है तो दवा भी यही देता है । कोरोना जैसी आपदाये बहुत आयी और चली भी गयी ,पर इंसांनियत जीवंत रही क्योकि “आनंद कभी मरते नही ,आनंद कभी मरा नही करते……

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