धूमधाम से मनाई गई लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जयन्ती
धूमधाम से मनाई गई लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जयन्ती।
-राजमाता अहिल्याबाई होल्कर के जीवन से प्रेरणा ले समाज: ज्ञानेश पाल धनगर
-लोकमाता के समाज कल्याण के लिये किये गये त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता : ज्ञानेश पाल धनगर
रिपोर्ट राकेश पाण्डेय
सीतापुर। सिधौली में हमराह एक्स कैडेट एन सी सी सेवा संस्थान के तत्वावधान में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई।
राजमाता अहिल्याबाई होल्कर की दो सौ अट्ठानबेवीं जयंती सिधौली के मनिकापुर गांव में धूमधाम से से मनाई गई। इस अवसर पर लोगों ने महारानी के चित्र पर माल्यार्पण किया।माल्यार्पण के पश्चात कार्य क्रम का संचालन कर रहे दीपक पाल ने कहा
कि अहिल्याबाई होल्कर ने देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्ध तीर्थों एवं स्थान पर मंदिर बनवाए तथा घाट, कुआं और सरायों का निर्माण कराया।
उन्होंने आत्मप्रतिष्ठा का झूठा मोह त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न किया।रानी लक्ष्मीबाई के बाद अगर किसी का नाम इतिहास में श्रद्धा व सम्मान से लिया जाता है तो वह अहिल्याबाई होल्कर का, जिनको अपने जीवन काल में ही जनता इन्हें देवी समझने और कहने लगी थी। शासन और व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार हो रहे थे। उस समय अहिल्याबाई ने व्यवस्था को दुरुस्त किया था।
अहिल्याबाई ने छह माह भारत की यात्रा की व समाज व धर्म सेवा के लिए मन्दिर, सराय, प्याऊ एवं कुएं बनवाए। वहीं कार्यक्रम संयोजक व हमराह संस्थान सचिव ज्ञानेश पाल धनगर ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा की पाल, बघेल ,धनगर समाज के लोग देवी आहिल्या बाई होल्कर के वंशज है। महारानी का जन्म 31 मई सन 1725 ई. को हुआ था।सन 1767 में इनके पति व ससुर की मौत के बाद इन्होंने इंदौर का राज पाठ महारानी ने संभाला।
उन्होंने कहा कि लोकमाता के समाज कल्याण के लिये किये गये त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता, उनके नाम पर सरकार को पुरुस्कार आदि कार्यो को बढ़ाया जाना चाहिये लोकमाता पृथ्वी पर देवी का रूप थी पाल ने कहा महारानी ने पूरे देश में मंदिर, धर्मशालाये ,सरोवरों व नदियो पर घाटों का निर्माण कराया। कुरुक्षेत्र में शिव सनातन महादेव मंदिर सन्निहित सरोवरों पर पंचकुंड व लक्ष्मी घाट का निर्माण करवाया ।
उन्होंने समाज के लोगो को महारानी की शिक्षाओ का अनुसरण करने और उनके बताये मार्ग पर चलकर समाज में फैली बुराईयों को दूर करने की अपील की। रानी अहिल्या -बाई ने कलकत्ता से बनारस तक की सड़क, बनारस में अन्नपूर्णा का मन्दिर, गया में विष्णु मन्दिर बनवाये। इसके अतिरिक्त इन्होंने घाट बनवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण करवाया, मार्ग बनवाए, भूखों के लिए सदाब्रत (अन्नक्षेत्र ) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिंतन और प्रवचन हेतु की।लोकमाता के समाज कल्याण के लिये किये गये त्याग और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता,उनके नाम पर सरकार को पुरुस्कार आदि कार्यो को बढ़ाया जाना चाहिये लोकमाता पृथ्वी पर देवी का रूप थी ।
इस अवसर हर्षवर्धन पाल संगठन मंत्री लखनऊ मंडल (हमराह एक्स कैडेट एन सी सी सेवा संस्थान ) दीपक पाल, सावित्री पाल, दीपिका पाल, सावित्री पाल,आशू पाल, प्रदीप पाल, आर्दश पाल ,श्रीमती सुनीता पाल ज्ञानेश पाल धनगर,प्रगति अंशू रावत आदि लोग उपस्थित रहे।