सीतापुर

आबकारी विभाग की लापरवाही के चलते दर्जनों गांव में बनती है अवैध कच्ची जहरीली शराब।

आबकारी विभाग की लापरवाही के चलते दर्जनों गांव में बनती है अवैध कच्ची जहरीली शराब।

रिपोर्ट राकेश पाण्डेय

सीतापुर।सीतापुर की सदर व लहरपुर तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत एक दर्जन से अधिक गांव में अवैध कच्ची शराब बडे पैमाने पर बनाने का धंधा चल रहा है। जिसे कुछ लोगों ने आबकारी विभाग की मिलीभगत के चलते कुटीर उद्योग का रूप दे रखा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग की मिलीभगत के चलते दर्जनों गांवों में अवैध शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है।
सूत्र यह भी बताते हैं कि आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर को फोन पर अगर किसी भी प्रकार की कोई सूचना दी जाती है तो उस पर आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर संज्ञान नहीं लेते है। इस वजह से साफ जाहिर होता है कि आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर की मिलीभगत से दर्जनों गांव में अवैध शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है। लहरपुर तहसील के हरगांव थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले मुद्रासन पुरवा, महादेव, हरीरामपुर, कटेसर, राधानगर, कोरिया पैनी, सरैया,ओझियापुर, मोहरसा, बाघ पुरवा, ताहपुर, चांदपुर, प्यारापुर,व सदर तहसील के कमरसेपुर, ककरैहा, बनिहार, गुरधपा, भटपुरवा, बक्सोहिया, सुजौलापुर, महावतनपुरवा,कटका,जडौना, रौना, रूकनापुर,रायपुर,मूसेपुर शेखापुर, निगोहा उमरी सलेमपुर आदि गांवों में अवैध शराब का कुटीर उद्योग का धंधा जोरों पर चल रहा है। जिससे आए दिन किसी ना किसी की जहरीली शराब पीने से मौत भी हो रही है। लेकिन आबकारी विभाग मौन धारण किए हुए है। आबकारी विभाग के अधिकारीगण अपने अपने कार्यालयों में बैठकर पंखे की हवा खाने में मस्त है।
सूत्रों की मानें तो कई बार आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर को फोन कर इस मामले की सूचना भी दी गई। लेकिन आबकारी विभाग के इंस्पेक्टरों के कानों पर जू तक नहीं रेंग रहा है। नाराज नागरिकों ने इस मामले को समाचार पत्र के माध्यम से उजागर करते हुए आबकारी अधिकारियों की नींद से उठाने की बात कही है।ग्रामीणों ने बताया कि आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते यह अवैध कच्ची शराब का धंधा जोरों पर चल रहा है।
सोचनीय प्रश्न यह है किआखिर आबकारी विभाग इन लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?जो जनता को शराब के नाम पर जहरीली शराब परोस रहे है।जहरीली शराब के सेवन से लोग असमय काल के गाल में समाते चले जा रहे हैं, और जिम्मेदार लोग गुलाबी नोटों के चक्कर में अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहे हैं। प्रश्न यह है कि क्या आबकारी विभाग का संरक्षण इन अवैध शराब बनाने वालों को मिल रहा है।अब देखना यह है कि जनपद में चल रहे इस घटिया खेल कुटीर उद्योग के रूप में पनप रहे जहरीली शराब उद्योग के प्रति जिले के मुखिया क्या कठोर कदम उठाते हैं। यदि समय रहते जिले के जिम्मेदार कुटीर उद्योग की तरह गांव गांव बन रही जहरीली शराब पर अंकुश लगाने में सफल हो जाते हैं तो बेमौत मर रही जनता को बचाये जा सकने के साथ साथ प्रदेश सरकार को भी हो रही आर्थिक क्षति को रोका जा सकता है।

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