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महिलाओं ने जीवित्पुत्रिका व्रत रख कर नगर के रामलीला मैदान के पक्के तालाब व नहर के किनारे और नगर के तमाम मंदिरों पर पूजा की

महिलाओं ने
जीवित्पुत्रिका व्रत रख कर नगर के रामलीला मैदान के पक्के तालाब व नहर के किनारे और नगर के तमाम मंदिरों पर पूजा की

मड़ियाहूँ क्षेत्र की महिलाओं ने व्रत रखकर किया जीवित्पुत्रिका व्रत। कस्बे के रामलीला मैदान, के पक्के पोखरा, चुटका देवी मंदिर पर राम जानकी मंदिर पर कस्बे के तमाम मंदिरों आदि तमाम स्थानों पर महिलाओं ने अपने पुत्र की लंबी उम्र की कामना करते हुए दिनभर व्रत रखकर सायंकाल जीवित्पुत्रिका व्रत का पूजन महिलाओं ने तालाब अथवा नदी के किनारे या नहर के किनारे एक स्थान पर गाय के गोबर से लीप पोतकर इकट्ठा होकर सायंकाल प्रदोष काल में पूजन किया महिलाओं ने बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत जीमूत वाहन की कथा से जुड़ी हुई है गंधरवों के राजकुमार का नाम जीमूत था वे बड़े उदार एवं परोपकारी थे आश्विन कृष्णपक्ष अष्टमी के प्रदोष काल में जीमूत वाहन की पूजा करती हैं महिलाओं ने कहा कि कैलाश पर्वत पर भगवान शंकरजी माता पार्वती को भी यही कथा सुनाते हुए कहा है कि जो स्त्री सायंकाल उपवास रखकर पूजा करेंगी पांच कहानी सुनेगी अथवा कथा सुनेंगी वही स्त्री पुत्र पौत्रों का पूर्ण सुख प्राप्त करेंगी क्षेत्र की महिला विधि विधान से अपने अपने क्षेत्र में पूजन किया महिलाएं प्रशिक्षित होकर किस्सा-कहानी को ध्यान से सुनते हुए पाई गई महिलाओं ने कहा कि यह व्रत से हम अपने पुत्र और पौत्रों के अखंड जीवित दीर्घायु के लिए कर रही है इसी कामना के साथ प्रत्येक महिलाएं अनेक स्थानों पर पूजा अर्चन करती देखी गई

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