- Homepage
- Devotional
- दशहरा:असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय, और पाप पर पुण्य की विजय
दशहरा:असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय, और पाप पर पुण्य की विजय
आप हिन्दू धर्म के किसी भी ग्रंथ, शास्त्र, पुराण और वेदों को पढ़कर देखें, इन सभी में एक बात गौर करने वाली है, कि इन सबका एक ही सार निकलता है, और वो है असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय, और पाप पर पुण्य की विजय।
दशहरा पर्व इसी विजय का सार समेटे हुए है, इसीलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
वैभव उजाला का यह लेख हर बुराई पर अच्छाई की जीत को समर्पित पर्व दशहरे के बारे में है। तो चलिए शुरू करते हैं।
इस वर्ष दशहरा अर्थात विजयादशमी का उत्सव 5 अक्टूबर, बुधवार को पूरे देश में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाएगा।
दशमी तिथि प्रारम्भ – 04 अक्टूबर, 2022 मंगलवार को 02:20 PM बजे
दशमी तिथि समाप्त – 05 अक्टूबर, 2022 बुधवार को 12:00 PM बजे
विजयादशमी पर शस्त्र-पूजा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस पूजा में देवी आदिशक्ति के साथ अपने घर में मौजूद सभी शस्त्रों और वाहनों की विधिवत पूजा की जाती है। श्रीमंदिर पर आपके लिए शस्त्र और आयुध पूजन की सम्पूर्ण विधि उपलब्ध है, जिसकी मदद से आप अपने घर में सरलता से यह पूजा संपन्न कर पाएंगे। शस्त्र पूजन के लिए विजय मुहूर्त सर्वोत्तम होता है।
पूजा के लिए विजय मुहूर्त – 02:07 PM से 02:54 PM तक
दशहरा का पौराणिक महत्व – जब त्रेतायुग में अत्यंत अहंकारी और क्रूर राजा रावण का अनाचार दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा, तब भगवान विष्णु ने श्रीराम के अवतार में मनुष्य रूप में जन्म लिया। अपनी अथाह शक्ति के मद में चूर रावण ने माता सीता का हरण करके महापाप किया था। जिसके फलस्वरूप भगवान श्रीराम ने नौ दिनों तक चले एक लम्बे युद्ध के बाद दसवें दिन रावण का वध कर दिया। यह आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार माता जगदम्बा ने आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को ही राक्षस महिषासुर का अंत करके तीनों लोकों को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी।
इसीलिए हर वर्ष पाप पर पुण्य की विजय के प्रतीक के रूप में इस तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसी दिन दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है।
अब मनुष्य जीवन में दशहरा पर्व का महत्व जानने के लिए एक बार कल्पना कीजिये रावण के विशालकाय व्यक्तित्व की। अब उसके प्रगाढ़ पांडित्य को सोच कर देखिये। दस दिमागों से सोचने की क्षमता, सोने की लंका, कुबेर का पुष्पक विमान, भगवान शिव की भक्ति और अकल्पनीय बाहुबल, रावण के पास वह सबकुछ था, जिससे वह इस संसार का आधिपत्य पा सकता था। लेकिन रावण के पास दस दिमागों के साथ वो दस अवगुण थे जो उसके विनाश का कारण बनें। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और हरण – इन सब ने मिलकर रावण की पराजय को निश्चित किया।
दशहरा हमें सिखाता है कि हर साल जब हम रावण का दहन करते हैं, तो हमें अपने अंतर्मन के इन दस अवगुणों का भी दहन करना चाहिए। शक्ति का पूजन करना चाहिए और भगवान श्रीराम की आराधना करके उनसे अच्छे गुणों का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
हम आशा करते हैं, यह दशहरा आपके और आपके संपूर्ण परिवार के लिए शुभता लेकर आएं और आपका जीवन सभी सद्गुणों से सम्पन्न बनें