करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए सबसे खास त्योहार
करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए सबसे खास त्योहार माना जाता है। कहते हैं कि सुहागन स्त्रियां इस दिन का पूरे साल इंतजार करती हैं। ऐसी मान्यता है कि जो सुहागन स्त्री करवा चौथ का निर्जला व्रत करती हैं और व्रत पूर्ण होने पर चौथ के चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं उनके पति की लंबी उम्र होती है। इस साल करवा चौथ 4 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति के मंगल की कामना से करवा चौथ का व्रत रखती हैं। कहते हैं कि जो स्त्रियां इस दिन व्रत करती हैं और सच्चे मन से माता पार्वती से अपने पति के मंगल की कामना करती हैं उन्हें माता पार्वती से सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पौराणिक कथाओं में भी करवा चौथ की महिमा का बखान किया गया है। कहते हैं कि करवा चौथ का व्रत इतना अधिक प्रभावशाली हैं कि यह पतिव्रता स्त्रियों के पतियों के प्राणों की रक्षा कर सकता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से पति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।
करवा चौथ व्रत के दिन व्रती स्त्रियों को इस व्रत के नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। कहा जाता है कि करवा चौथ व्रत के दिन सिलाई-कढ़ाई नहीं करनी चाहिए। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस दिन व्रती स्त्री को सब्जी नहीं काटने चाहिए और ना ही कटे हुए फल, सब्जी या दाल का सेवन करना चाहिए। इस व्रत में धारदार वस्तुओं का प्रयोग करना मना होता है। इन वस्तुओं में चाकू, कैंची, सूई, तलवार और चौपर शामिल हैं। कहते हैं कि इनका प्रयोग करने से पति का अमंगल हो सकता है। इसलिए प्रयास करें कि आप यह कार्य ना करें।
करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Puja Shubh Muhurat)
करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त – 4 नवंबर, बुधवार – शाम 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 52 मिनट तक।
करवा चौथ उपासना का समय – 4 नवंबर, बुधवार – सुबह 6 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 12 मिनट तक।
चतुर्थी तिथि आरंभ – 4 नवंबर, बुधवार – सुबह 3 बजकर 24 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त – 5 नवंबर, बृहस्पतिवार – सुबह 5 बजकर 14 मिनट तक