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कृषि प्रधान अपने देश में हर साल 23 दिसम्बर को किसान दिवस होता है। जाने क्यों मनाते हैं किसान दिवस
किसान दिवस के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुका राष्ट्रीय किसान दिवस एक राष्ट्रीय अवसर है जो हर साल मनाया जाता है। इस दिन इस कार्यक्रम का जश्न मनाने के लिए कृषि के ऊपर कई वाद-विवाद कार्यक्रम, समारोह, सेमिनार और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। किसान दिवस के समारोह को मनाने के दौरान कृषि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ किसानों के लाभ के लिए खेती के क्षेत्र में विभिन्न सूचना कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 26 कृषि ज्ञान केंद्र और लगभग 31 कृषि विज्ञान केंद्र हैं। ये सभी केंद्र राज्य में अलग-अलग चर्चाओं के आयोजन द्वारा राष्ट्रीय किसान दिवस मनाते हैं। चौ चरण सिंह की स्मृति में दिल्ली में स्मृति उपवन बनाया गया है।
कृषि विभाग के अधिकारी और कृषि वैज्ञानिक गांवों का दौरा करके किसानों और उनसे संबंधित मुद्दों को समझने और उनके कृषि उत्पादन को बचाने के लिए कृषि तकनीकों और विभिन्न प्रकार के बीमा योजनाओं के बारे में समाधान और जानकारी प्रदान करते हैं। देश में कई राज्य सरकारें इस दिन का उपयोग किसानों के पक्ष में नए बिलों को लागू करने के लिए करती हैं। किसानों के प्रतिनिधियों को भी समारोहों के लिए आमंत्रित किया जाता है और अपने मुद्दों और समस्याओं को सामने रखने के लिए प्रेरित किया जाता है।
अपने लम्बे राजनीतिक जीवन में किसानों के हितों के लिए संघर्षरत रहे चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर को हापुड़ के एक गांव में एक जाट परिवार मे हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली की जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।
अपने पूरे जीवन में नम्र और शालीन रहे चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक एक छोटे कार्यकाल के लिए देश के प्रधान मंत्री भी बने। प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई नीतियां शुरू कीं। चौ चरण सिंह आदर्श जाट नेता थे और एक किसान परिवार से संबंध रखते थे। यही कारण था कि वे खुद को किसानों के मुद्दों से जुड़ा हुआ रखते थे और उनको समर्थन करने का भरपूर प्रयास करते थे।
जब वे 1979 में भारत के प्रधान मंत्री बने तो उन्होंने किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई बदलाव किए। उन्होंने 1979 के बजट को पेश किया जिसे किसानों की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया था। कृषि निर्माण के पीछे विधानसभा में चैधरी चरण सिंह द्वारा पेश किए गए प्रसिद्ध बाजार विधेयक थे। जमींदारी उन्मूलन अधिनियम भी उनके द्वारा शुरू किया गया और लागू किया गया। वह एक शौकीन लेखक भी थे और उन्होंने किसानों और उनके साथ समस्याओं से जुड़े समाधानों के बारे में अपने विचार लिखे हैं। चौ चरण सिंह की मृत्यु 29 मई 1987 को हुई।