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सब इंस्पेक्टर ( एस आई ) की रैंक हासिल करना मेरे लिए आईपीएस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण सपना था: विश्वनाथ प्रताप सिंह

*सब इंस्पेक्टर ( एस आई ) की रैंक हासिल करना मेरे लिए आईपीएस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण सपना था: विश्वनाथ प्रताप सिंह*

 

आज अपने चैनल के माध्यम से एक ऐसी कहानी आपको बताना चाहते हैं जिस कहानी में एक बालक जिन्हें उनके माता-पिता डॉक्टर बनाना चाहते थे वे कैसे और किन परिस्थितियों में डॉक्टर ना बंद कर पहले लॉ ग्रेजुएट किए और फिर पुलिस विभाग में कई पदों पर सेवा देते हुए समय के साथ इंस्पेक्टर (एसएचओ)हुए।

 

यह कहानी है 3/2/1975 को वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी में जन्में *विश्वनाथ प्रताप सिंह जी* की।आपके पिता का नाम स्वर्गीय रामसूरत सिंह और माता का नाम जानकी देवी है ।आपका पैतृक निवास्थान प्रभु टांडा उमती जिला मऊ है।

विश्वनाथ प्रताप सिंह जी के पिता आर्मी ऑफिसर थे और सन 1981 में आर्मी से रिटायर हुए पिता चाहते थे की उनका पुत्र एक प्रसिद्ध डॉक्टर बने और इसी दिशा में नन्हे विश्वनाथ की पठन पाठन केंद्रीय विद्यालय आजमगढ़ में प्रारंभ हुई क्योंकि उन दिनों केंद्रीय विद्यालय बहुत कम हुआ करते थे इसलिए कुछ समय के बाद आप केंद्रीय विद्यालय आजमगढ़ से केंद्रीय विद्यालय 39 जी टी सी कैंटोंमेंट वाराणसी सन 1986 में आए। बाद में इंटरमीडिएट पास होने के बाद बनारस के कृष्णा कोचिंग में आपकी मेडिकल की तैयारी हेतु पढ़ाई जारी की .

 

को-एजुकेशन होने के नाते मेडिकल और इंजीनियरिंग ही उन दिनों सहपाठियों की प्राथमिकता होती थी।

वाराणसी के भूलन पुर डीएलडब्लू इलाके में इनका निवास हुआ ,जहां से 100 मीटर की दूरी पर पीएससी भूलनपुर बटालियन स्थित था।

 

सन 1993 में जब कॉन्स्टेबल की भर्ती आई तो किसी से ना बताते हुए चोरी से आपने इस भर्ती के लिए फॉर्म जमा किया। किसी तरीके से यह बात जब पिताजी को मालूम हुई तो उन्होंने काफी नाराजगी जताई क्योंकि वह आपको डॉक्टर बनाना चाहते थे और आपको कृष्णा कोचिंग से तैयारी भी करा रहे हैं और फिर आप का साथ दिया आपकी बहन ने आपका सपोर्ट किया जिसका नतीजा यह रहा कि 1993 की भर्ती में सेंटर टॉप अचीवर आप रहे।

 

पीएसी की ट्रेनिंग के दौरान, ट्रेनिंग में भी टॉपर रहे और पांच – पांच विषयों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किए ।पीएसी के सेवाकाल में निबंध प्रतियोगिता वाद-विवाद प्रतियोगिता कंप्यूटर कंपटीशन में हमेशा प्रथम स्थान प्राप्त करते रहें।इतना ही नही हर वर्ष प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए स्टेट लेवल तक वाद विवाद प्रतियोगिता में और निबंध प्रतियोगिता में गए।

 

साथ ही आप क्रिकेट के शौखिन रहे और जोनल लेवल तक क्रिकेट खेल में गए।आप पी एस सी टीम रामनगर 36 बटालियन और 34 बटालियन के कप्तान भी रह चुके है और अंतर्जनपदीय क्रिकेट टूर्नामेंट खेल चुके है।

 

सर्वप्रथम आप की पोस्टिंग *सीतापुर के 27 वीं बटालियन* में हुआ जहां पर पीएसी का ऑफिस वर्क आपने संभाला आप 9 महीने तक सी ए का भी कार्य किए, *5 साल 3 महीने के बाद हेड कांस्टेबल बनने हेतु आपने अप्लाई किया और वहां भी आप टॉपर रहे।*

 

एटीसी सीतापुर हेड कांस्टेबल ट्रेनिंग में आपने फोर्थ रैंक हासिल किया और सन 1999 में सीतापुर से बनारस आए आप जहां पर पीएसी के हेड ऑफिस आप ने कार्यभार संभाला।

 

 

ड्यूटी के साथ-साथ आपने आपका ग्रेजुएशन *हरिश्चंद्र कॉलेज* से ला में किया, बचपन से किताबों के शौकीन अलग-अलग बायोग्राफी अब्राहम लिंकन ,अब्दुल कलाम, वह देश के तमाम विभूतियों के बारे में गहन अध्ययन किया और यही माहौल घर में भी दिया।

 

 

*एस आई की रैंक हासिल करना मेरे लिए आईपीएस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण सपना था*

 

सन 1999 में जब S I की वैकेंसी आई तो आपने अप्लाई किया जहां पर इंटरव्यू लेवल तक आप गए जिस का रिजल्ट 2007 में निकला परंतु दुर्भाग्य से उस वक्त सिलेक्शन नहीं हुआ उस समय भी आप पीएसी के 34 बटालियन में सेवारत रहे लेकिन आप निराश नहीं हुए और दोबारा से जब 2011 में वैकेंसी आई उस समय पीएसी में सर्विस देते हुए आपने पुनः एस आई रैंक के लिए अप्लाई किया हालांकि इस बार स्वास्थ्य आपका साथ नहीं दे रहा था 87 किलो का वजन अचानक से कम होकर 64 किलो हो चुका था खराब स्वास्थ्य की वजह से साथ ही साथ नई चीज 10 किलोमीटर रनिंग इस भर्ती में ऐड हुई थी किसी तरीके से आपने दौड़ प्रतियोगिता क्वालीफाई की और पूरे *उत्तर प्रदेश में 132 रैंक हासिल कर एस आई बने सन 2011,में*

 

*इस दिन को आप सबसे महत्वपूर्ण दिन में से एक मानते हैं* क्योंकि एसआई की रैंक हासिल करना आपका सबसे बड़ा सपना था क्योंकि इस यात्रा की शुरुआत पिता को नाराज करके हुई थी और आपका यह मानना था कि एसआई की रैंक एक ऐसी रैंक है जो आपको जनता को न्याय दिलाने का काम करने में मदद करती है और यह कुर्सी परम सौभाग्य और पिछले जन्म के अच्छे कर्मों की वजह से मिलती है।

 

 

एसआई एग्जाम व ट्रैनिंग के बाद वाराणसी के दानगंज पुलिस चौकी का इंचार्ज बनाया गया जहां पर 2 वर्ष रहने के बाद आप चौकी इंचार्ज चितईपुर हुए 3 महीने तक वहां पर सेवा की उसके बाद आपको वाराणसी के रमनाडाफी चौकी का प्रभार मिला 3 महीने तक आपने वहां पर सेवा दे फिर आप वाराणसी के ना टीमली इलाके में चौकी इंचार्ज के रूप में आए और डेढ़ साल तक नाती इमली चौकी पर सेवाएं दी ।

 

*सबसे दुख मय दिन*

३१ जुलाई २०१३ में पिता जी की मृत्यु की घटना ने आपको काफी अंदर तक प्रभावित किया,और उस असनीय पीड़ा को सहते हुए प्रशासन के कार्यों की नैतिक जिम्मेदारी आपने बखूबी निभाई।परिवार में सभी का हौसला बढ़ाने के साथ सभी का ख्याल रखते हुए पोलिस की ड्यूटी की जिम्मेदारी को निभाते रहे।

 

*आपके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण केस*

 

7 वर्ष पहले एक लड़की को किसी ने मार दिया था जब आप नाटीईमली चौकी इंचार्ज हुए और आप मुखबिर द्वारा सूचना मिली है कि 7 वर्ष पहले एक लड़की की हत्या हुई और कोई उसके बारे में आज तक जाना नहीं ना कोई मुकदमा लिखा गया है ना किसी ने जांच की है मुखबिर ने आपको इतना बताया था कि उसका एक साथी सुंदरपुर में गाड़ी रिपेयर करता है और उसका नाम राजू है फिर आपने पता लगाया तो सूत्रों से पता चला कि एक लड़का है पुल के नीचे राजू मैकेनिक काम करता है फिर दूसरा लड़का पकड़ा,फिर तीसरा लड़का पकड़ा और जब तीनों से पूछताछ की तो कहानी निकल कर आई

 

एक लड़के ने एक लड़की से प्यार किया साल भर अपने साथ सुंदरपुर में रखा उसके बाद जब घरवाले डांटने लगे तब से पीछा छुड़ाने के लिए टेंपो रिजर्व किया लड़की को लेकर दोस्तों के साथ मिर्जापुर चला गया ,कोल्ड ड्रिंक के अंदर नशीली दवा पिलाकर झाड़ी में ले जाकर सील थाना क्षेत्र के अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य हो रहा था ,वहां बालू के पास झाड़ी के पीछे गला रेत कर मार डाला और बालू में छोड़ कर चले गए जब कुत्तों ने और जानवरों ने डेड बॉडी को खींचा तो पुलिस ने लावारिस समझते हुए पोस्टमार्टम करा कर बॉडी डिसपोज कर दी।

 

यहां तीनों लोग अपने जीवन यापन में लग गए शादी विवाह हो गया एकदम निर्भीक जीवन जीने लगे,लड़की के मांता-पिता को पता ही नहीं था इस पूरे घटनाक्रम के बारे में क्योंकि वह सोचते थे की बेटी भाग गई।

मां बाप ने कोई मुकदमा किया ही नहीं था फिर आप उन तीनों को पकड़ने के बाद लड़की के पिता से मिलकर पूरी कहानी बताई 7 वर्ष के बाद लंका थाने में उनकी प्राथमिकी दर्ज कराई, f.i.r. कराया और उनके पिता को इंसाफ दिलाया उन तीनों को सजा हुई और तीनों जेल गए इस घटना को जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानते है उन दिनो अखबारों ने सुपर कॉप की संज्ञा दी थी आपको और इसी कार्य के पर आपको चौकी इंचार्ज से थाना अध्यक्ष बना दिया गया इस कार्य के लिए आपको ₹25000 का इनाम सरकार के द्वारा प्राप्त हुआ था

साथ ही 2019 में उत्कृष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया ,यह सम्मान आपको 15 अगस्त को दिया गया था

 

 

सन 2018 में आपको पहला थाना मिला 3 अक्टूबर का दिन था चौबेपुर वाराणसी के रूप में आपको पहला थाना मिला

 

 

फिर शुरू हुआ *थाना इंचार्ज के रूप में सेवाएं देने का सिलसिला* जो क्रमशः इस प्रकार रहा

 

3 oct 2018 चौबेपुर वाराणसी

 

10 oct 2019 शिवपुर वाराणसी

 

22 अगस्त 2019 को आप क्राइम ब्रांच वाराणसी जॉइन किये

 

12/6/2020 थाना इंचार्ज लोहता वाराणसी हुए

लोहता वाराणसी के डेढ़ साल के टाइम पीरियड को आप सबसे बेहतरीन टाइम पीरियड मानते है जहां पर आपको लौहता क्षेत्र की जनता से बहुत सारा प्यार मिला.

8/12/2021 लोहता से सिंगरामऊ जौनपुर ट्रांसफर हुआ

जहा आपने 18/12/2021 को जॉइन किया और 20 दिन सेवा दिया।

 

8/1/2022 को थाना नेवढ़िया आप थाना इंचार्ज हुए और वर्त्तमान सेवाएं जारी है।

 

विगत 2 दिनों में पदोन्नति में आपकी लगातार कार्य निष्ठा को देखते हुए आपको ऐसे एस एच ओ रैंक पर पदोन्नत किया गया।

 

 

 

लगातार अपनी पढ़ाई के प्रति सजग रहना और असफलताओं से निराश नहीं होना आपने अपनी सफलता की कुंजी बनाई

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