बिना किताब कैसे पूरा होगा निपुण भारत का लक्ष्य:जौनपुर के 3096 परिषदीय विद्यालयों के सामने चुनौती, BSA बोले- निदेशालय से जल्द मिलेंगी किताबें
जौनपुर में 3096 परिषदीय विद्यालयों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। जुलाई में सत्र शुरू होने के लगभग महीने भर बाद भी बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं। आलम ये है किसी तरह शिक्षक पुरानी किताबों के सहारे विद्यालय में पढ़ाई करवा रहे हैं। सवाल यह है कि किताबें न उपलब्ध होने के कारण निपुण भारत का लक्ष्य कैसे पूरा होगा।
परिषदीय विद्यालयों में इक्का-दुक्का छात्रों के पास ही किताबें मौजूद हैं। जिन छात्रों के बड़े भाई और बहन कक्षा पास कर चुके हैं, उन्हीं बच्चों के पास किताबें भी मौजूद हैं। किताबों की उपलब्धता पर बीएसए ने कहा कि निदेशालय द्वारा जल्द ही किताबें उपलब्ध करा दी जाएंगी।
निपुण भारत का यह है लक्ष्य
निपुण भारत लक्ष्य के अंतर्गत बाल वाटिका में पढ़ने वाले छात्र गणित के विषय में 10 तक की संख्या को पहचान लेते हैं और पढ़ लें। दी गई संख्याओं, आकृति और घटनाओं को व्यवस्थित कर लें। भाषा के विषय में बालवाटिका में पढ़ने वाले छात्र कम से कम दो अक्षर वाले सरल शब्दों को पढ़ लें।
अक्षरों और संगीत की ध्वनियों को पहचान लें। कक्षा 1 में पढ़ने वाले बच्चे 99 तक की संख्या पढ़ और लिख लें। इसके अलावा उन्हें सरल जोड़ और घटाना भी मालूम हो। 4-5 शब्द के सरल वाक्य भाषा के विषय में जानते हों।
इसी तरह कक्षा 2 में 999 तक की संख्या पढ़ना और लिखना आता हो। कक्षा 3 के बच्चे 9999 तक की संख्या पढ़ और लिख लें। इसके अलावा सरल गुणा की समस्या हल कर सकें। भाषा में कक्षा 2 के छात्र प्रति मिनट 40-50 शब्द प्रवाह के साथ पढ़ सकें। वाक्य में प्रयोग हुए शब्दों के अर्थ भी जानते हों। कक्षा 3 के छात्र प्रति मिनट 60 शब्द पढ़ सकें।
किताबें नहीं हो पाईं उपलब्ध
जौनपुर में लगभग 3096 परिषदीय विद्यालय हैं। नया सत्र जुलाई से शुरू हो चुका है। जौनपुर के परिषदीय विद्यालयों में नामांकन भी अच्छी संख्या में हुए। लेकिन, अभी तक विद्यालयों में किताबें नहीं उपलब्ध हो सकी हैं। इसकी वजह से शैक्षणिक कार्य रफ्तार नहीं पकड़ सका है। किसी तरह पुरानी किताबों के सहारे विद्यालय में कक्षाओं में पढ़ाई हो रही है। कुछ परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट और रुचिकर तरह से क्लास चलाई जा रही हैं।
आसान नहीं होगा लक्ष्य पाना
इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अरविंद शुक्ला बताते हैं कि किताबें उपलब्ध होने की वजह से दिक्कत हैं। जितने संसाधन उपलब्ध हैं, उतने में कक्षाओं को संचालित किया जा रहा है। कई विद्यालयों में प्रोजेक्टर और अन्य मॉडर्न तरीकों से बच्चों को सिखाया जा रहा है। किताबें देरी से मिलेंगी, तो निश्चित रूप से निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल करने में दिक्कतें भी आएंगी।
शैक्षणिक स्तर में हुआ सुधार
किताबों की उपलब्धता के संदर्भ में बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. गोरखनाथ पटेल कहते हैं कि निदेशालय से किताबें भेजी नहीं गई हैं। उम्मीद है कि जल्द किताबें जनपद में पहुंच जाएंगी। परिषदीय विद्यालय के शिक्षक नए और रुचिकर तरीकों से छात्रों को पढ़ा रहे हैं।
उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि परिषदीय विद्यालयों की बिल्डिंग में ही कायाकल्प नहीं हुआ है, बल्कि शैक्षणिक स्तर में भी सुधार हुआ है। कुछ विद्यालयों में शिक्षा का स्तर प्राइवेट कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। उन्होंने बताया कि किताबें उपलब्ध होने की वजह से कुछ असर जरूर पड़ेगा, लेकिन समय रहते लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा।