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गुलाबी आभा से दमकेगा मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम

आमतौर पर वाराणसी आने वाले श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से पहले गंगा नदी में स्नान करते हैं. वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम की परिकल्पना से पहले स्नान के बाद तीर्थ यात्रियों के काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आने को दो रास्ते थे. पहला गंगा के किनारे ललिता घाट से होकर राजराजेश्वरी मंदिर, पंचमुखी गणेश मंदिर होते हुए सरस्वती फाटक पर आता था. यहीं से काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में श्रद्धालु प्रवेश करते थे. दूसरा रास्ता मणिकर्णिका घाट से नीलकंठ द्वार होते हुए गेट नंबर तीन के सामने आता था. यह रास्ता बंद होने से मणिकर्णिका घाट से आने वाले दर्शनार्थी मंदिर के गेट नबंर चार या सरस्वती फाटक से प्रवेश करते थे. महज दो से तीन फीट चौड़ी ये तंग गलियां खास मौकों पर श्रद्घालुओं की संख्या बढ़ने पर खतरों की आशंका से भर जाती थी. इसी खतरे ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के विस्तार योजना की पृष्ठभूमि तैयार की थी.

काशी विश्वनाथ न्यास परिषद ने दिसंबर, 2017 में योजना से जुड़े पहलुओं का अध्ययन कर एक ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया था. वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 मार्च, 2018 को वाराणसी प्रवास के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का विकास गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर करने के निर्देश दिए. प्रधानमंत्री से हरी झंडी मिलने के अगले दिन राज्य सरकार ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए 600 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दे दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को कुल 1,000 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का शि‍लान्यास किया था. इस प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य की निगरानी एवं अन्य जरूरी प्रशासनिक कार्यों के लिए योगी सरकार ने “श्री काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलेपमेंट बोर्ड” का गठन किया है. राज्य लोक निर्माण विभाग (PWD) परियोजना की कार्यकारी एजेंसी है.

योगी आदित्यनाथ सरकार वाराणसी में 46,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण और सुंदरीकरण की परियोजना को आगे बढ़ा रही है. इस परियोजना में एक कॉरिडोर का भी निर्माण किया गया है जिसका एक छोर काशी विश्नाथ मंदिर का बाबा दरबार है तो दूसरा छोर मणि‍कर्ण‍िका समेत गंगा के तीन घाटों से जुड़ता है. सरकार ने कुल 1,000 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को दिसंबर, 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण पर भी असर पड़ा लेकिन लॉकडाउन हटने के बाद इसके निर्माण में तेजी आई है.

मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम अब चुनार के गुलाबी पत्थरों से सजने लगा है. जयपुर में तराशे गए करीब 65 हजार क्यूबिक फीट गुलाबी पत्थरों की पहले खेप से काशी विश्वनाथ धाम का गुलाबी स्वरूप अब धीरे-धीरे आकार ले रहा है. मंदिर के चौक का काम अब प्रगति की ओर है. गुलाबी पत्थरों की आभा अब दर्शनार्थियों को भी नजर आने लगी है. नक्काशीदार पत्थरों की खूबसूरती भी उभरकर सामने आ रही है. श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले मंदिरों के जीर्णोद्धार और संरक्षण की जिम्मेदारी बीएचयू और संस्कृति मंत्रालय को सौंपी गई है.

श्री काशी विश्वनाथ धाम के किनारे खड़ी की गईं टीन की ऊंची दीवारों के अंदर भारी सुरक्षा के बीच कारीगर, इंजीनियर और मजदूर 5.3 लाख वर्गफुट में धाम को आकार देने में लगे हैं. परिसर को लेकर गंगा घाट तक 24 इमारतें बनाई जाएंगी. इसमें से 19 इमारतों पर काम चल रहा है. इसमें मंदिर परिसर, मंदिर चौक, जलपान केंद्र, गेस्ट हाउस, यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, आध्यात्मिक पुस्तक केंद्र, मुमुक्षु भवन अस्पताल का निर्माण शुरू हो चुका है. मंदिर चौक का हिस्सा “सी शेप” में निर्मित किया जाएगा. यहां से सीधे गंगा के दर्शन किए जा सकेंगे. श्री काशी विश्वनाथ स्पेशल एरिया डेवलेपमेंट बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “मंदिर के मुख्य परिसर में मुमुक्ष भवन, फूड कोर्ट, यात्री सुविधा केंद्र -1 और 2, मुख्य मंच, वर्चुअल म्यूजियम, सिटी गैलरी और सुरक्षा कक्ष होंगे.”

काशी विश्वनाथ धाम के कॉरिडोर क्षेत्र में वाराणसी की सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखाई देगी. इसमें बनारस गैलरी सिटी म्यूजियम के साथ आध्यात्म‍िक वाचनालय भी होगा. यहां बनने वाले वैदिक केंद्र में लोग संस्कृति और कर्मकांडों के बारे में जानकारी पा सकेंगे. इसके अलावा जलासेन घाट पर सांस्कृतिक गतिविधि‍यों के लिए ओपन एयर थि‍येटर, अंदर आने पर मल्टीपरपज हाल, विश्रामालय, तीन दर्शनार्थी सुविधा केंद्र होंगे. काशी विश्वनाथ धाम जाने के लिए ज्ञानव्यापी क्रासिंग से गोदौलिया मार्ग पर विशेष गेट बनाया जाएगा. इस दो मंजिला द्वार को गोदौलिया गेट के नाम से जाना जाएगा. इसके निर्माण में तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसमें दोनों तरफ सुरक्षाकर्मियों के बैठने का इंतजाम भी होगा. मंदिर चौक तीन तल का होगा. इसमें पूरब की ओर विशाल और भव्य गेट बनाया जाएगा. कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाओं से लैस होगा. काशी विश्वनाथ मंदिर से लाइव स्ट्रीमिंग के लिए घाटों पर एक बड़ा स्क्रीन टीवी लगाने की योजना है ताकि गंगा में पवित्र डुबकी लगाने के तुरंत बाद भक्तों को देवता के दर्शन हो सकें.

काशी विश्वनाथ धाम की मणिमाला के मंदिरों का ऐतिहासिक दस्तावेज भी देश और दुनिया के सामने होगा. श्री काशी विश्वनाथ धाम में मिले प्राचीन मंदिरों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को तैयार करने के लिए एएसआई भोपाल की टेंपल सर्वे की तीन सदस्यीय टीम ने काम शुरू कर दिया है. काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के लिए खरीदे गए तीन सौ भवनों में 60 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर मिले हैं. परियोजना में मिले प्राचीन मंदिरों का इतिहास, उनकी प्राचीनता, विशेषता के अलावा मंदिरों के निर्माता की जानकारियां जुटाई जा रही हैं. काशी विश्वनाथ धाम से जुड़े अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि 650 मजदूर दो शिफ्टों में लगातार काम कर रहे हैं. अगस्त 2021 तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की संभावना है.

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